Simran Ansari

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रूहानी रिश्ता : भाग - 4

आज समीरा के काम का पहला दिन था लेकिन फिर भी वह वहां बिल्कुल भी असहज महसूस नहीं कर रही थी पूरा दिन बहुत अच्छा बीता उसके बाद उसने घड़ी की तरफ नजर डाली तो देखा शाम के 7:00 बज चुके थे, उसने कहा- अरे इतनी जल्दी 7:00 बज गए मुझे तो पता भी नहीं चला......


हां वैसे भी किसी ने कहा है की अगर अपना मनपसंद काम मिल जाए तो उसे करते वक्त समय आसानी से कट जाता है और बोरियत भी महसूस नहीं होती।।।

यहां पर ठीक वैसा ही था क्योंकि यह समीरा का मनपसंद काम था तो इसलिए उसे भी पता ही नहीं चला दिन कब गुज़र गया 7:00 बज चुके थे इसलिए अब वह सारा काम समेटने लगी थी हां सारी किताबें वापस अपनी जगह बुक्रिक्स में रखने लगी और साथ ही इधर उधर देखकर करण को भी ढूंढ रही थी ताकि उससे पूछ कर वह अपने घर जा सके।।


तभी दुकान में आगे की तरफ उसे करण स्टूल पर बैठा हुआ दिखाई दिया उसने उसे बुलाया हेलो करण इधर आ सकते हो थोड़ी देर.....

समीरा की आवाज सुनकर करण अंदर की तरफ आया और समीरा की तरफ देख कर बोला हां बोलो क्या हुआ कुछ काम था....????

अरे नहीं काम क्या होगा मैं तो बस यह पूछ रही थी कि क्या मैं घर जा सकती हूं वैसे भी मैंने सब काम खत्म कर दिया है और मुझे अकेले ही घर जाना है इसलिए मैं ज्यादा लेट नहीं करना चाहती- समीरा ने कहा

उसकी आवाज सुनकर करण अपनी लाइब्रेरी बुक स्टॉल में चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगा तो उसने देखा कि समीरा ने सब कुछ बहुत अच्छी तरह से सेट किया हुआ था सामान और किताबें रोज़ की तरह बिखरी हुई नहीं थी सारी चीजें अपनी अपनी सही जगह पर थी।।।

यह देखकर करण बहुत खुश हुआ और मुस्कुराते हुए बोला वाओ इंप्रेसिव तुमने तो एक ही दिन में इस जगह का नक्शा ही बदल दिया कल तक या किसी कबाड़ी की दुकान की तरह लगती थी और आज एक बुक स्टॉल लग रही है।।।

अपने लिए तारीफ सुनकर समीरा बहुत खुश हुई और करण से बोली थैंक यू अब क्या मैं घर जा सकती हूं?? मुझे 8:00 बजे से पहले घर भी पहुंचना है क्योंकि मैं मां को यही टाइमिंग बता कर आई हूं......

उसकी बात सुनकर करण बोला हां ठीक है तुम जा सकती हो.....

यह सुनकर समीरा ने जल्दी से अपना सामान उठाया और तीनों लड़कों को बाय बोलती हुई बाहर निकल गई।।।

करण उसे जाता हुआ देखता रहा वहीं खड़ा होकर उसके दोस्त पुनीत ने उसे ऐसे देखते हुए नोटिस कर लिया और उसे छेड़ते हुए बोला अच्छी लड़की है ना??

पुनीत की इस बात पर करण अचानक ही बोल गया अच्छी नहीं बहुत अच्छी.....

अच्छा जी तो यह खिचड़ी पक रही है और वह भी इतनी जल्दी हमारी नाक के नीचे हमें ही पता नहीं चला सही है... पुनीत करण को छेड़ते हुए बोला

अब करण को एहसास हुआ कि वह ध्यान दिए बगैर ही क्या बोल गया और अपनी कही बात पर सफाई देते हुए बोला- अरे नहीं मेरा वह मतलब नहीं था अच्छी लड़की है मतलब तुम अपने काम में अच्छी है और और मुझे क्या चाहिए।।।

इस पर वहीं थोड़ी दूर बैठा अजय भी बोल पड़ा- हां ठीक है ठीक है अब तू ज्यादा शरीफ मत बन..... हम भी तेरे दोस्त हैं सब दिखता है हमें भी.....

अरे नहीं यारों जैसा तुम समझ रहे हो वैसा कुछ भी नहीं है और अभी दो ही दिन तो हुए है उससे मिले.... करण ने फिर से अपनी तरफ से सफाई दी

अच्छा अच्छा ठीक है ठीक हम सब समझ गए- पुनीत अपनी हंसी रोकता हुआ बोला

उन दोनों को अपना मजाक उड़ाता देख करण दुकान से बाहर चला गया और अजय और पुनीत वापस अपने काम में लग गए।।।

उधर दूसरी तरफ समीरा अपने घर पहुंची तो उसकी मां ने दरवाजा खोला और उससे पूछने लगी कैसा रहा तेरा जॉब का पहला दिन, थक गई होगी ना......

समीरा सोफे पर पैर फैला कर बैठते हुए बोली- बहुत ही अच्छा मुझे तो बहुत ही अच्छा लगा..... सब लोग बहुत अच्छे हैं मां तीनों लड़के जो मेरे साथ वहां काम करते हैं..... बहुत हेल्प करते हैं काम में , गाइड भी करते हैं।।।

समीरा बहुत खुश होकर अपनी मां को अपने दिन भर की सारी बातें बता रही थी और उसकी मां भी बिल्कुल ध्यान से अपनी बेटी की बातें सुन रही थी फिर उसके बाद बोली अच्छा ठीक है तू जाकर कपड़े चेंज कर ले जब तक मैं तेरे लिए कॉफी बना देती हूं।।।

ओके मां लगता है आप बोर हो गई मेरी बातों से समीरा ने थोड़ी बनावटी नाराज होते हुए कहा

इस पर उसकी मां ने उसका कान खींचते हुए कहा मैं भी बोर होती हूं तेरी बातों से बचपन से सुनती आ रही हूं तू और तेरी बातें बस , यही तो है मेरी जिंदगी की खुशी

लव यू मम्मा कहते हुए समीरा अपनी मां के गाल पर किस करती है और अपने कमरे की तरफ भाग जाती है......

उसके बाद दोनों मां बेटी साथ में बैठकर कॉफी पीती हैं और समीरा ही बोलती रहती है उसकी मां उसकी बातें सुनकर और उसकी खुशी देख कर खुश हो जाती हैं।।।

थोड़ी देर बाद समीरा के पापा भी ऑफिस से वापस आ जाते हैं फिर तीनों साथ में बैठकर डिनर करते हैं समीरा के पापा भी समीरा से पूछते हैं कैसा रहा उसका पहला दिन??

इस पर समीरा उन्हें भी कहती है कि बहुत अच्छा उसे यह काम पसंद है तो उसे बहुत अच्छा लगा.....

डिनर करने के बाद समीरा अपने रूम में जाती है और कल के लिए कपड़े निकालने लगती है उसके बाद अपने बैग से कुछ जरूरी सामान निकालने लगती है तभी उसे बैग में वह बुक रखी हुई दिखती है जो वह लाइब्रेरी से पढ़ने के लिए लाई थी......

बुक देखकर समीरा खुद से कहती है- अरे मैं तो भूल ही गई थी इस किताब के बारे में अच्छा हुआ दिख गई उसके बाद घड़ी की तरफ नजर डालती हैं तो 10:30 बज रहे होते हैं, फिर वह खुद से बोलती हैं अभी 10:30 ही तो बजे हैं जब तक यह बुक पढ़ लेती हूं वैसे भी आधी तो मैंने वहां पर ही पढ़ ली थी बाकी अभी कंप्लीट हो जाएगी...... खुद से ही या शब्द करवा अपने बेड पर बैठ कर बुक पढ़ने लग जाती हैं...... बुक पढ़ते-पढ़ते उसे पता ही नहीं चलता कि कब उसे नींद आ गई और वह अपने बेड पर बुक हाथ में पकड़े पकड़े ही सो जाती है......

नींद में बुक उसके हाथ से छूट कर जमीन पर गिर जाती है और सोती हुई समीरा को यह पता नहीं चलता सुबह 8:00 बजे के अलार्म से समीरा की आंख खुलती है तो वह अलार्म बंद करके फिर से सो जाती है......

8:30 बज जाते हैं और समीरा भी तक अपने कमरे से बाहर नहीं आती तो समीरा की मां समझ जाती है कि समीरा अभी तक सो कर नहीं उठी और उसे जगाने के लिए उसके कमरे में जाती हैं.....

उठ जा समीरा नहीं तो अपने काम पर जाने के लिए लेट हो जाएगी- कहते हुए समीरा की मां उसके कमरे के अंदर जाती हैं.....

उनकी आवाज सुनकर समीरा एक तकिया उठाकर अपने कान के ऊपर रख लेती है और कहती है सोने दो ना मम्मा इतनी अच्छी नींद आ रही है......

अरे 9:00 बज गए तुझे काम पर नहीं जाना क्या या फिर बस एक ही दिन में शौक पूरा हो गया- समीरा की मां कहती हैं

यह सुनकर समीरा हड़बड़ा कर अपने ही बेड पर उठ कर बैठ जाती है और कहती है- ओह नो  9:00 बज गए!!! आप ने मुझे जगाया क्यों नहीं मैं इतनी जल्दी कैसे तैयार हो पाऊंगी आज तो पक्का लेट हो जाऊंगी......

यह जब कहते हुए वह घड़ी की तरफ एक नजर डालती है तो घड़ी में 8:40 हुआ होता है.....

फिर अपनी मां की तरफ देखते हुए कहती है- आपने फिर से मुझे उठाने के लिए गलत टाइम बताया ना मम्मा.....

अब क्या करूं तेरी मां हूं जानती हूं जब तक के ज्यादा टाइम ना हो जाए तू तो उठने से रही, अब चल ज्यादा बातें ना बना जाकर जल्दी से तैयार होकर नीचे आ मैं तेरा नाश्ता निकाल कर रखती हूं..... कहकर समीरा की मां किचन की तरफ चली जाती है

अरे यार वैसे मम्मा कह तो सही ही रही थी लेट तो हो जाता है मुझे उठने में कहती हुई वह भी जल्दी से वॉशरूम की तरफ भागती है और तैयार होकर नीचे आती है और बिना नाश्ता किए ही गेट की तरफ भागने लगती है.....

इस पर उसकी मां कहती हैं अभी 9:15 बजे हैं चल सीधा नाश्ता कर चल कर.....

अरे नहीं मम्मा नाश्ता करुंगी ना तो लेट हो जाऊंगी वैसे भी मैं एक घंटा देर से ही जाती हूं बाकी सब 9:00 बजे आ जाते हैं शॉप पर मेरे लिए 10:00 बजे तक आने की छूट है तो मैं इसका गलत फायदा नहीं उठाना चाहती और ज्यादा लेट हो कर....... समीरा अपनी मां को समझाते हुए कहती है

कोई फायदा नहीं मुझसे बहस करने का जितना टाइम इसमें वेस्ट कर रही है इतनी देर में तो नाश्ता कर लेती....

अच्छा ठीक है वैसे भी आप बिना खाए जाने नहीं दोगी मुझे पता है मेरी ही गलती है कल से मैं टाइम पर उठूंगी पक्का कहती हुई समीरा डाइनिंग टेबल की पास वाली चेयर पर बैठ जाती है और जल्दी जल्दी नाश्ता करने लगती है और घड़ी की तरफ भी देखती रहती है......

जल्दी से नाश्ता करके अपनी मम्मी से बाय बोल कि वह दरवाजे की तरफ भागती है फिर रोड पर आकर टैक्सी का वेट करने लगती है- थोड़ी देर तक कोई टैक्सी भी नहीं दिखती रोड पर तो वह खुद से बड़बड़ाते हुए बोलती हैं जिस दिन लेट हो जाओ उसी दिन टैक्सी भी नहीं मिलती है.....

तभी एक टैक्सी आते हुए दिखती हैं समीरा जल्दी से टैक्सी रोक कर टैक्सी में बैठ जाती है और आधे घंटे में 10:15 बजे तक शॉप पर पहुंच भी जाती है..... वहां पहुंचकर वह देखती है की रोज की ही तरह अजय और पुनीत हैं करण अभी वहां नहीं आया यह सोच देखकर वह चैन की सांस लेती है और मन में सोचती हैं अच्छा है करण नहीं तो इतना लेट होने पर यह लोग तो कुछ नहीं कहेंगे.....

वह दोनों लड़कों को गुड मॉर्निंग बोलकर दुकान के अंदर आ जाती है और अपनी साइड पर जाकर काम में लग जाती है.......

जारी.......


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4 Comments

Arman

06-Mar-2022 12:38 AM

Nice

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Ali Ahmad

05-Mar-2022 07:57 PM

Bahut khoob

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Arshi khan

03-Mar-2022 06:51 PM

Bahut khoob

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